Friday, February 7, 2020

अघोर मंत्र- अघोरेभ्यो थगोरेभ्यो घोर घोर तरेभ्यः।सर्वेभ्यः सर्व सर्वेभ्यो नमस्तेस्तु रूद्र रूपेभ्यः।। भ्यो घोर घोर तरेभ्यः।सर्वेभ्यः सर्व सर्वेभ्यो नमस्तेस्तु रूद्र रूपेभ्यः।। 

 

AghorBadsha
BadshaPriyank💀AghorRaaj

भावार्थ-श्मशान वासी,काम्य क्रियाओं में लीन,अत्यंत भयानक,रौद्र और सौम्य रूप में रहने वाले तथा सर्वत्र व्यापक ऐसे भगवान रूद्र को प्रणाम है। जय रुद्रावतार जय महाकाल जय ज्योतिर्मय स्वरूप।


उज्जैन के राजा भर्तृहरी के द्वारा नीति शतकम् में वर्णित श्लोक... प्रथमे वयसि नाधीते, द्वितीये नार्जितं धनम्।तृतीये न तपः तप्तम्, चतुर्थे किम् करिष्यति।। उम्र के प्रथम 25 वर्ष में यदि अध्ययन नहीं किया द्वितीय 25 वर्ष में धन अर्जित नहीं किया तृतीय 25 वर्ष मे यदि तप नहीं किया तो वह चतुर्थ में क्या कर पाएगा।।